Samudra Ki Lehron Mein (Hindi)
Singh, Khushwant
दो दिन, दो रात उसका पार्थिव शरीर राजभवन केदरबार हॉल में रखा रहा। वहांसे
अरब सागर ठीक सामनेनज़र आता था।राजभवन केदरवाज़ेहर कीसी केिलए
खोल दीए गयेथ।े ताकि लोग उस शख्स को अपनी श्रद्धांजलि दे सके जीसने देश के
िलए बहुत कुछ किया। याद नही आता कि उस दौर में इतना किसी और ने किया।
हालांᳰक बᱟत कम लोग उसे᳞िᲦगत ᱨप सेजानतेथ,े लेᳰकन जीतेजी उसका नाम
महान लोगᲂ मᱶशुमार हो गया था। राजभवन केगेट सेमील भर दरू तक हाथᲂ मᱶफूल-
मालाएं िलए ᮰ांजिल दनेेवालᲂ कᳱ कतार थी। क़ायद-ेक़ानून को ताख़ पर रख ᳰदया
गया था। पुिलस थी, लेᳰकन िसफ़ᭅ येदखे नेकेिलए ᳰक लोग िबना ᱧकेअथᱮ केआगे
बढ़तेरह।ᱶ मौत केबाद भी उसकेचेहरेपर िवजय और िवᮤोह केभाव थे। कुछ लोग
उसकᳱ अकूत दौलत कᳱ वाᳯरस, उसकᳱ बेटी को एक झलक दखे नेकᳱ ᳰफ़राक मᱶइधर-
उधर मंड़रा रहेथे, लेᳰकन उ᭠हᱶमायूस ही लौटना पड़ रहा था। िसफ़ᭅउसकᳱ बुज़ᰛगᭅबहनᱶ,
कुछ खास लोगᲂ केसाथ, हॉल मᱶनज़र आ रही थᱭ
种类:
年:
2014
出版社:
Rajpal and Sons
语言:
hindi
页:
109
ISBN 10:
9350641135
ISBN 13:
9789350641132
文件:
PDF, 1.17 MB
IPFS:
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hindi, 2014